Saturday, August 22, 2009

वैज्ञानिकों ने एशियाई देशों को चेतावनी दी है कि यदि वे तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और पानी की कमी कीसमस्या से नहीं निबटते हैं तो उन्हें खाद्यान्न के भारी संकट और सामाजिक असंतोष का सामना करनापड़ सकता है.

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पानी के संकट को लेकर पहले भी चेतावनी दी जाती रही है

स्वीडन में संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में जल विशेषज्ञों ने कहा कि दक्षिण और पूर्व एशियाई देशों को खाद्यान्न की माँग को पूरा करना है और आयात पर निर्भरता को कम करना है तो उन्हें सिंचाई प्रणाली में सुधार करना होगा और इसके लिए अरबों डॉलर खर्च करने होंगे.

माना जा रहा है कि इन देशों में वर्ष 2050 तक खाद्यान्न की माँग दोगुनी हो जाएगी.

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस भविष्यवाणी में जलवायु परिवर्तन के असर का आकलन नहीं किया गया है.

खाद्यान्न की मांग पूर्ति के लिए सिर्फ़ बाज़ार पर भरोसा करने से विकासशील देशों पर अतर्कसंगत दबाव पड़ेगा

संकट

ऐसा आकलन है कि एशिया की जनसंख्या अगले 40 वर्षों में डेढ़ अरब बढ़ जाएगी.

ये आकलन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन और अंतरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान की संयुक्त रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है.

विशेषज्ञों का कहना है कि एशियाई देशों को अपनी जनता को खाद्यान्य उपलब्ध करवाने के लिए एक चौथाई अनाज आयात करना पड़ेगा.

इंटरनेशनल वॉटर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट ने महानिदेशक कॉलिन चार्टेस का कहना है, "खाद्यान्न की मांग पूर्ति के लिए सिर्फ़ बाज़ार पर भरोसा करने से विकासशील देशों पर अतर्कसंगत दबाव पड़ेगा."

उनका कहना है कि जब नई कृषि भूमि तैयार नहीं हो रही है तो ऐसे समय में समाधान यही होगा कि सिंचाई के साधनों को सुधारा जाए, जो 1970 और 80 के दशक की तकनीक पर काम कर रहे हैं.

लेकिन उनका कहना है कि इसमें अरबों डॉलर रुपयों की ज़रुरत होगी.

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